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अमेरिका के सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त के पहले सप्ताह के दौरान 10,320 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जो पिछले सप्ताह के 9,026 रोगियों से अधिक है, सप्ताह-दर-सप्ताह कोरोना के मामलों में लगभग 14% की वृद्धि हुई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को कोरोना के खतरे को लेकर सावधानी बरतते रहने की सलाह देते हैं।
गौरतलब है कि कोरोना के कम होते मामलों के बीच सीडीसी ने इस साल की शुरुआत में संक्रमित लोगों की संख्या की निगरानी बंद कर दी थी, कोरोना की मौजूदा स्थिति का अंदाजा लगाने के लिए अस्पतालों के डेटा पर ध्यान दिया जा रहा है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर, जॉन ब्राउनस्टीन कहते हैं, हम अभी भी कोरोना के जोखिमों से निपटने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हमें पूरी महामारी के दौरान के अपने अनुभव को ज़ूम आउट करके देखना होगा, संक्रमण के बढ़ते मामलों को कमतर आंकने की गलती करना गंभीर समस्याकारक हो सकता है।
शोधकर्ता कहते हैं, कोरोना के वर्तमान में बढ़ते मामलों के लिए EG.5 को प्रमुख स्ट्रेन माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अन्य हालिया वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामकता वाला हो सकता है, पर क्या इसके कारण संक्रामकता का जोखिम भी उतना ही है इस बारे में जानने के लिए अभी शोध जारी है। इसके अलावा हाल ही में एक और नए वैरिएंट BA.2.86 के मामले कई देशों में देखे जा रहे हैं, जो वास्तविक चिंता का कारण हो सकता है।
ब्राउनस्टीन ने एक इंटरव्यू में बताया कि कोविड-19 मेट्रिक्स के बारे में चिंता का एक कारण यह भी है कि इसी तरह से 2021 की गर्मियों में खतरनाक डेल्टा संस्करण के साथ वृद्धि हुई थी, हमें पहले की गलतियों से सीखने और सावधान रहने की आवश्यकता है।
प्रारंभिक शोध में वैज्ञानिकों ने बताया कि कोरोना के जिन दो नए वैरिएंट के मामले बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं, वह दोनों ओमिक्रॉन के ही एक सब-वैरिएंट हैं, जो इस बात की तरफ संकेत है कि इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा तो कम है पर इन वैरिएंट्स के अतिरिक्त म्यूटेशंस इसकी संक्रामकता और वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा दे सकते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक BA.2.86 को ओमिक्रॉन का अब तक का सबसे म्यूटेटेड वर्जन माना जा रहा है जो तेजी से संक्रमण बढ़ाने का कारण हो सकता है।
प्रोफेसर जॉन ब्राउनस्टीन कहते हैं, अब तक जो भी नया वैरिएंट सामने आया है, उसका जनसंख्या पर कम प्रभाव पड़ा है। यह संभव है कि हम भविष्य में ऐसा कोई वैरिएंट देखें जो वास्तविक चिंता का विषय हो। लेकिन कुल मिलाकर, हमने पिछले कई वेरिएंट्स के प्रभाव में कमी देखी है, इसलिए इस बात की आशंका फिलहाल कम है कि ये नए वैरिएंट्स किसी गंभीर रोग का कारण बनेंगे। फिर भी सभी लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर लगातार सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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